Home Page Astro Vastu-Lalkitab-Makan Kundali Astro Vastu-K P Astrology Lalkitab Course My Vastu Service My Vastu Class Online Vastu Shakti Chakra Astrology Software VPM By GeoGebra Formula वास्तु परिचय वास्तु के 16 क्षेत्र वास्तु में दिशा का निर्धार Vastu Tips For Students  मुख्य द्वार मंदिर रसोई धर शयन कक्ष औसध कक्ष धन संपति कक्ष स्नान कक्ष शौचालय अभ्यास कक्ष विजिटिं कार्ड  कंपनी नेम - लोगो केश स्टडी और अनुभव वास्तु रेमेडी एडवांस वास्तु रेमेडी ३ डी एडवांस वास्तु रेमेडी २ डी  My Vastu Remedies Gallery Award संपर्क
Share on Facebook Share via e-mail Share on LinkedIn Share on Twitter
+91  9370176251
01 to 10 Rajkot Gujarat  -  11 to 20 New Mumbai Panvel  -- 21 to 30 Rajkot - call For Appointments  --  Mo +91  9370176251 
For Life,Health & Prosperity
WhatsApp Me
Real Vaastu
Home Page Astro Vastu-Lalkitab-Makan Kundali Astro Vastu-K P Astrology Lalkitab Course My Vastu Service My Vastu Class Online Vastu Shakti Chakra Astrology Software VPM By GeoGebra Formula वास्तु परिचय वास्तु के 16 क्षेत्र वास्तु में दिशा का निर्धार Vastu Tips For Students  मुख्य द्वार मंदिर रसोई धर शयन कक्ष औसध कक्ष धन संपति कक्ष स्नान कक्ष शौचालय अभ्यास कक्ष विजिटिं कार्ड  कंपनी नेम - लोगो केश स्टडी और अनुभव वास्तु रेमेडी एडवांस वास्तु रेमेडी ३ डी एडवांस वास्तु रेमेडी २ डी  My Vastu Remedies Gallery Award संपर्क

वास्तु शास्त्र में दिशा निर्धारण

  वास्तु का निर्माण करने से पूर्व दिशाओं का निर्धारण करना आवश्यक है | दिशाओ का विचार किए बिना निर्मित किए गए वास्तु निर्माण अनपेक्षित परेशानियों का जन्म देते है |   

  मंदिर, मकान, घर्मशाला, दुकान, कारखाना, औषधालय, अनाथालय, छात्रालय, वाचनालय, पठशाला, महाविद्यालय, आश्रम, कार्यालय, आदि कोई भी निर्माण कार्य करने के पूर्व दिशाओं का निर्धारण अवश्य करलेना चाहिए | तथा दिशाओं का अनुकूल प्रतिकूल प्रतिकूल फलो का विचार करके ही निर्माण कार्य करना चाहिए |   

  दिशाओं की अनुकूलता देखकर बनाहुआ भवन स्वामी को धन, धान्य, आयु, बल, आरोग्य, लाभकारक होती है | और वास्तु की प्रतिकूलता से बना हुआ भवन हानि, पारिवारिक एवं शारीरिक हानि, परेशानिया, कलह, विवाद, विसंवाद को आमंत्रण देती है |

प्रकृति में दश दिशा मानी गई है |

 चार मुख्य दिशा – पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण

चार विदिशाएं   - ईशान, अग्नि, नैॠ॒॒त्य, वायव्य

तथा ऊपर आकाश एवं निचे पाताल

इसके आलावा

पूर्व ईशान , उत्तर ईशान

पूर्व अग्नि , दक्षिण अग्नि

दक्षिण नैॠ॒॒त्य , पश्चिम नैॠ॒॒त्य

पश्चिम वायव्य , उत्तर वायव्य
















दिशा निर्धारण की आधुनिक विधि

Morden Method Of Determination Of Directions

वर्त्तमान युग में मेग्नेटिक कम्पास की मदद से निर्धारण किया जाता है |